(तस्वीरों के साथ)
कोलकाता, 13 दिसंबर (भाषा) कोलकाता के सॉल्टलेक स्टेडियम में शनिवार को फुटबॉल खिलाड़ी लियोनेल मेस्सी के कार्यक्रम के दौरान अराजकता फैलने के बाद पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आयोजकों पर हमला बोला।
टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए एक बयान में कहा कि आयोजकों व उनके करीबी लोगों की “अत्यधिक उत्सुकता” और मेस्सी के साथ सेल्फी लेने की उनकी कोशिशों की वजह से दर्शक सही तरह से फुटबॉलर को नहीं देख पाए, जिसकी वजह से वे नाराज हो गए।
टीएमसी के राज्य महासचिव ने कहा, ‘‘इस अव्यवस्था के लिए आयोजकों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों न की जाए? कोई उचित योजना क्यों नहीं थी? अफरा-तफरी क्यों मची? इसी कारण मेस्सी को स्टेडियम छोड़ना पड़ा और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री भी राज्य की जनता की ओर से उनका गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए उपस्थित नहीं हो सकीं।
घोष ने इस घटना को राज्य के खेल प्रेमियों के लिए बड़ा निराशाजनक बताया और कहा, “2011 में जब मेस्सी पहली बार स्टेडियम आए थे, तब कार्यक्रम बहुत अच्छी तरह से आयोजित किया गया था। मुझे याद है कि एक मैच हुआ था और मेस्सी ने प्रेस गैलरी में मेरी सीट के पास 50 मीटर की दूरी से कॉर्नर किक लगाई थी। सब कुछ बहुत सुचारू रूप से हुआ था और तब कोलकाता का मान बढ़ा था।”
भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि “कुछ ठगों ने, पैसों की लालसा में, यह स्थिति उत्पन्न की।”
उन्होंने कहा कि इस अव्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार पर है और टीएमसी नेताओं ने “लालची आयोजकों को बढ़ावा दिया, जो स्वयं प्रचार में व्यस्त थे। टिकट खरीदने वाले लोगों को मेस्सी को सही तरीके से देखने से वंचित किया गया।”
भट्टाचार्य ने कहा कि इस घटना ने राज्य की छवि धूमिल की है।
केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुकांत मजूमदार ने इस अराजकता के लिए टीएमसी और राज्य प्रशासन की कड़ी आलोचना की।
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी ने राज्य सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि मंत्री और नेता ‘‘मेस्सी से जोंक की तरह चिपके हुए थे’’, जबकि हजारों रुपये खर्च करने वाले फुटबॉल प्रशंसकों को विशाल स्क्रीन पर उन्हें मुश्किल से कुछ मिनटों के लिए ही देखने को मिला।
शुभेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में खेल मंत्री अरूप बिस्वास, अग्निशमन मंत्री सुजीत बसु और आयोजकों पर इस आयोजन को ‘‘पैसा कमाने का जरिया’’ बनाने का आरोप लगाया।
उन्होंने गैलरी टिकट धारकों के लिए 100 प्रतिशत धन वापसी, दोषियों की गिरफ्तारी और ‘‘पश्चिम बंगाल को दुनिया के सामने बदनाम करने’’ के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की।
कांग्रेस ने भी टीएमसी सरकार पर निशाना साधा। पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष शुभंकर सरकार ने इस घटना को ‘‘भयानक कुप्रबंधन और कानून व्यवस्था का मजाक’’ बताया।
उन्होंने आरोप लगाया कि मेस्सी के नाम पर भोले-भाले प्रशंसकों को अत्यधिक कीमतों पर टिकट बेचे गए, जबकि फुटबॉलर केवल टीएमसी नेताओं और उनके परिवार के सदस्यों से घिरा हुआ था।
सरकार ने आरोप लगाया, ‘‘जनता के करोड़ों रुपये सिर्फ इसलिए खर्च किए गए, ताकि टीएमसी नेता मेस्सी के साथ तस्वीरें खिंचवा सकें। यह सारदा और नारद घोटाले के बाद एक नया घोटाला है।’’ उन्होंने आयोजक, पुलिस और खेल मंत्रियों और स्थानीय विधायक की व्यक्तिगत जवाबदेही की मांग की।
कांग्रेस प्रवक्ता सुमन रॉय चौधरी ने भी इसी तरह की भावनाएं व्यक्त करते हुए खेल मंत्री की गिरफ्तारी की मांग की और पुलिस प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस घटनाक्रम ने सरकार का ‘‘व्यावसायिक चेहरा’’ उजागर कर दिया है और इस गड़बड़ी को लेकर कानूनी कार्रवाई की मांग की।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सुजान चक्रवर्ती ने कुप्रबंधन को पश्चिम बंगाल के लिए ‘काला दिन’ करार दिया और कानून-व्यवस्था की विफलता के लिए टीएमसी सरकार को दोषी ठहराया।
वाम मोर्चा शासन के दौरान फुटबॉल के दिग्गज डिएगो माराडोना की यात्राओं से तुलना करते हुए, चक्रवर्ती ने आरोप लगाया कि सरकार दर्शकों की सुरक्षा और अनुभव सुनिश्चित करने के बजाय मेस्सी के नाम पर पैसा कमाने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही थी।
भाषा धीरज दिलीप
दिलीप