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इसरो ने एसएसएलवी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए एचएएल के साथ समझौता किया

नयी दिल्ली, 10 सितंबर (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) के निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को लेकर बुधवार को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक औपचारिक समझौता किया।

यह कदम अंतरिक्ष क्षेत्र में उद्योग जगत की भागीदारी की दिशा में एक अहम कदम है।

यह समझौता भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के जरिये हुआ 100वां प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता था।

इसरो, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) और इन-स्पेस ने बेंगलुरु में एचएएल के साथ यह समझौता किया।

एचएएल ने अदाणी समूह समर्थित अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज के नेतृत्व वाली समूह को पछाड़कर यह अनुबंध हासिल किया।

इन-स्पेस के अनुसार, समझौते पर हस्ताक्षर की तारीख से 24 माह के भीतर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य है।

इस अवधि में इसरो एचएएल को छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान का तकनीकी ज्ञान हासिल करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और सहयोग देगा।

इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा, ‘‘भारत में वाणिज्यिक अंतरिक्ष क्षेत्र के उदारीकरण के साथ अवसर निश्चित रूप से बढ़ रहे हैं। इसरो में हमारे पास साझा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक गतिशील प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व्यवस्था है।’’

उन्होंने कहा कि इसरो एसएसएलवी को तैयार करने में एचएएल टीम का मार्गदर्शन करेगा।

इन-स्पेस के अध्यक्ष पवन कुमार गोयनका ने कहा कि इसरो, एचएएल, एनएसआईएल और इन-स्पेस का एक साथ आना सरकार की उस दूरदृष्टि को दर्शाता है, जिसके तहत अंतरिक्ष उद्योग को सशक्त बनाने और भारत को किफायती एवं भरोसेमंद प्रक्षेपण सेवाओं का वैश्विक केंद्र बनाने का लक्ष्य है।

एचएएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डी. के. सुनील ने कहा, ‘‘हमें गर्व है कि हम इसरो, एनएसआईएल और इन-स्पेस के साथ मिलकर एसएसएलवी प्रौद्योगिकी को संचालनात्मक बनाने की इस यात्रा का हिस्सा बने। एचएएल अपनी इंजीनियरिंग और विनिर्माण क्षमता का उपयोग कर एसएसएलवी बनाएगी, आवश्यक कार्यबल को प्रशिक्षित करेगी और एक आत्मनिर्भर पारितंत्र के निर्माण की ओर बढ़ेगी।’’

भाषा

राखी अविनाश

अविनाश