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बागान मालिक खराब गुणवत्ता वाली चाय के आयात को लेकर चिंतित, कार्रवाई की मांग की

(बप्पादित्य चटर्जी)

कोलकाता, 10 सितंबर (भाषा) खराब गुणवत्ता वाली शुल्क-मुक्त चाय का आयात बागान मालिकों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। बागान मालिकों का आरोप है कि ऐसी चाय निर्यात किए जाने के बजाय घरेलू बाजार में ही पहुंच जा रही है। इससे फसल की कीमतें गिर रही हैं और उत्पादकों की परेशानी बढ़ रही है।

उन्होंने ऐसी आयात खेपों को देश में आने से रोकने के लिए 100 प्रतिशत आयात शुल्क या ‘न्यूनतम आयात मूल्य’ लगाने की भी मांग की।

भारतीय चाय संघ (टीएआई) के अध्यक्ष संदीप सिंघानिया ने कहा कि 1.5 से 1.7 डॉलर (130-140 रुपये) प्रति किलोग्राम की कीमत वाली ‘निम्न गुणवत्ता’ वाली चाय का आयात कीमतों में गिरावट और बाजार की सुस्त धारणा का एक कारण है।

टीएआई अध्यक्ष ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘अग्रिम प्राधिकार योजना के तहत चाय के शुल्क-मुक्त आयात का उपयोग निर्यात के लिए किया जाना चाहिए, लेकिन यह घरेलू बाजार में पहुंच जा रही है। इस वर्ष अब तक उत्पादन 7 करोड़ किलोग्राम से अधिक बढ़ा है। घरेलू उत्पादन और आयातों ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। चाय की औसत कीमतों में कम-से-कम 42 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है।’’

इस वर्ष जनवरी-जुलाई की अवधि में देश का चाय उत्पादन लगभग 64.1 करोड़ किलोग्राम रहा, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 56.4 करोड़ किलोग्राम था।

भारतीय लघु चाय उत्पादक संघ के अध्यक्ष बिजॉय गोपाल चक्रवर्ती ने कहा कि चालू कैलेंडर वर्ष की जनवरी-जून अवधि में केन्या से भारत में चाय का आयात 45 प्रतिशत अधिक रहा।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 की पहले छमाही में इस अफ्रीकी देश से आयात 66 लाख किलोग्राम रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 46 लाख किलोग्राम था।

भारतीय चाय संघ के चेयरमैन हेमंत बांगुर ने कहा कि कम गुणवत्ता वाली शुल्क-मुक्त चाय आयात को रोका जाना चाहिए।

बांगुर ने कहा, ‘‘नेपाल से चाय की बेलगाम आवक ने दार्जिलिंग चाय उद्योग को तबाह कर दिया है। ऐसा लग रहा है कि केन्या से बेरोकटोक आयात असम चाय उद्योग को प्रभावित करेगा। इसे रोकने की ज़रूरत है। अगर आयात 100 प्रतिशत शुल्क के साथ किया जाए तो कोई समस्या नहीं है।’’

आईटीए चेयरमैन ने कहा कि उद्योग ने चाय बोर्ड से आयातित चाय के उपयोग पर नजर रखने का अनुरोध किया है।

चक्रवर्ती ने कहा कि देश भर के विभिन्न छोटे चाय उत्पादक संगठनों के सदस्यों ने वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों को स्थिति से अवगत कराया और 100 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की मांग की।

भाषा राजेश राजेश प्रेम

प्रेम