Haryana: बीजेपी सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने एक विवादित टिप्पणी में कहा कि पहलगाम हमले के दौरान अपने पतियों को खोने वाली महिलाओं में बहादुरी, जुनून और भावना की कमी थी और दावा किया कि अगर वे आतंकवादियों से विनती करने के बजाय अहिल्याबाई की तरह लड़तीं, तो शायद कम जानें जातीं।
जांगड़ा ने पीड़ितों में "भावना, जुनून और भावना" की कमी को उजागर करने के लिए अहिल्याबाई होल्कर और रानी लक्ष्मी बाई जैसी ऐतिहासिक महिला पात्रों का हवाला दिया। जांगड़ा ने कहा, "हमारी बहादुर बहनें जो वहां थीं, जिन्होंने अपने पतियों को खो दिया। अगर उन्होंने अहिल्याबाई के बारे में पढ़ा होता, तो कोई भी उनके पतियों को गोली नहीं मारता।"
उन्होंने कहा, "अगर वहां पर हमारे यात्री अगर वो ट्रेनिंग पास किए होते तो तीन उग्रवादी 26 आदमी को नहीं मार सकते। जिसके हाथ में जो कुछ भी आता, चाहे लाठी, चाहे डंडा, कुछ भी और वो चारों तरफ से उसकी ओर दौड़ते तो दावा करता हूं कि पांच या छह लोग हताहत होते लेकिन वो तीनों भी मारे जाते। लेकिन हाथ जोड़ने से कोई छोड़ता नहीं, हमारे आदमी वहां पर हाथ जोड़कर मारे गए।"
जांगड़ा की ये विवादास्पद टिप्पणी मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के बारे में मीडिया को जानकारी देने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी को "आतंकवादियों की बहन" कहने के मामले में एसआईटी जांच के बीच आई है।