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मेहंदीपुर बालाजी: राजस्थान का रहस्यमयी मंदिर

राजस्थान के दौसा जिले में एक छोटा-सा गांव स्थित है, जिसका नाम मेहंदीपुर है। इस गांव में एक अद्भुत और रहस्यमयी मंदिर है, जिसे मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। यहां भगवान हनुमान बाल रूप में पूजे जाते हैं, जिन्हें लोग प्रेम से 'बालाजी' कहते हैं। लेकिन इस मंदिर को विशेष बनाता है इसका अनोखा उद्देश्य यहां लोग केवल दर्शन के लिए नहीं, बल्कि भूत-प्रेत, ऊपरी बाधा और मानसिक कष्टों से मुक्ति पाने के लिए आते हैं।

कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष पहले एक पंडित को स्वप्न में भगवान हनुमान, प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा के दर्शन हुए। उन्होंने स्वप्न में कहा कि वे एक विशेष स्थान पर स्वयं प्रकट हो चुके हैं। जब पंडित ने उस स्थान की खुदाई की, तो वहां से मूर्तियां प्राप्त हुईं। पंडित ने उन मूर्तियों को बाहर निकालकर वहीं मंदिर की स्थापना कर दी। तभी से यह स्थान महेंद्रपुर बालाजी मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हो गया। मान्यता है कि इन मूर्तियों को कभी कहीं और नहीं ले जाया गया और न ही मंदिर को बदला गया।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर इसलिए भी विशेष है क्योंकि जो लोग भूत-प्रेत, तांत्रिक बाधा या मानसिक परेशानियों से पीड़ित होते हैं, वे यहां आकर राहत महसूस करते हैं। यहां श्रद्धालुओं को हंसते, अचानक चिल्लाते, रोते या अजीब हरकतें करते देखा जा सकता है। कोई जमीन पर लोटता है, तो कोई अपने आप को मारता है। बाहर से यह दृश्य भले ही अजीब लगे, लेकिन मंदिर के पुजारी मानते हैं कि यहां की दिव्य शक्ति बुरी आत्माओं को बाहर निकाल देती है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में कुछ अनोखी परंपराएं हैं, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती हैं। यहां चढ़ाया गया प्रसाद वापस नहीं ले जाया जाता जो भी अर्पित किया जाए, उसे वहीं छोड़ देना अनिवार्य होता है। यहां शाम होते ही सभी श्रद्धालु मंदिर से लौट जाते हैं। मान्यता है कि यहां मंदिर की आरती की तस्वीर नहीं ली जाती। इन परंपराओं के पीछे गहरी आस्था है, भले ही कुछ बातें केवल विश्वास पर आधारित हों।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, यह आस्था का दरबार है। यहां लोग अपने मन के डर, दर्द और अनजानी पीड़ाओं के साथ आते हैं, और एक नई उम्मीद के साथ लौटते हैं। शायद सच यही है कि भूत हों या न हों, लेकिन डर और विश्वास असली होते हैं। और जब यही डर भगवान की शरण में आता है, तभी सच्चे चमत्कार होते हैं।