भारत अपने घरेलू उद्योगों को बचाने के लिए विदेश से आने वाले सामान पर ज्यादा टैक्स (टैरिफ) लगाता है। इसका मतलब ये है कि जब कोई सामान बाहर के देश से भारत में आता है, तो उस पर एक्स्ट्रा टैक्स लगाया जाता है, जिससे वो महंगा हो जाए और लोग देश में बना सामान ही ज्यादा खरीदें। भारत की ये नीति लंबे समय से चली आ रही है, जिसे रक्षा व्यापार नीति कहा जाता है। इसका मकसद है, देश की कंपनियों को विदेशी मुकाबले से बचाना। वहीं, अमेरिका अब तक फ्री ट्रेड (मुक्त व्यापार) को बढ़ावा देता रहा है, यानी वहां बाहर के सामान पर कम टैक्स लगते हैं। लेकिन अब ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारत, अमेरिकी प्रोडक्ट पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है, इसलिए अमेरिका को भी भारत से आने वाले सामान पर ज्यादा टैक्स लगाना चाहिए।
टैरिफ क्या होता है और इसके कितने प्रकार होते हैं?
टैरिफ एक तरह का टैक्स होता है, जो किसी देश में दूसरे देश से आने वाले सामान पर लगाया जाता है। जब कोई विदेशी चीज किसी देश में आती है, तो उसे मंगवाने वाले को यह टैक्स देना पड़ता है।
टैरिफ के कई प्रकार होते हैं, जैसे:
- एड वेलोरेम टैरिफ
इसमें सामान की कीमत का एक निश्चित प्रतिशत टैक्स के रूप में लिया जाता है। जैसे मान लीजिए कोई सामान ₹1,000 का है और टैरिफ 10% है, तो उस पर ₹100 का टैक्स लगेगा।
- स्पेसिफिक टैरिफ
इसमें प्रति यूनिट के हिसाब से तय राशि ली जाती है। जैसे किसी सामान पर प्रति किलो ₹50 का टैक्स लगेगा, चाहे उसकी कीमत कुछ भी हो।
- रेसिप्रोकल टैरिफ
जब एक देश, दूसरे देश द्वारा लगाए गए टैरिफ के जवाब में टैक्स लगाता है, तो उसे रेसिप्रोकल टैरिफ कहते हैं। जैसे, ट्रंप प्रशासन ने भारत पर यही टैरिफ लगाया क्योंकि अमेरिका का मानना है कि भारत ने उनके प्रोडक्ट्स पर ज्यादा टैक्स लगाया।
सरकारें टैरिफ क्यों लगाती हैं?
सरकारें टैरिफ (टैक्स) कई कारणों से लगाती हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा होता है अपने देश के उद्योगों की सुरक्षा करना। मान लीजिए अगर कोई विदेशी सामान बहुत सस्ता है, तो लोग वही खरीदेंगे। लेकिन जब उस पर टैक्स (टैरिफ) लग जाता है, तो वो महंगा हो जाता है। ऐसे में लोग अपने देश में बना सामान खरीदते हैं, जिससे देश की कंपनियों को फायदा होता है। इसके अलावा, टैरिफ लगाने से सरकार को एक्स्ट्रा टैक्स की कमाई भी होती है, जिससे वो देश में और विकास कार्य कर सकती है। टैरिफ लगाने से बिजनेस का घाटा भी कम किया जा सकता है। अगर किसी देश से बहुत ज्यादा सामान आ रहा हो, तो उस पर टैरिफ लगाकर उसे रोका जा सकता है। कई बार टैरिफ का इस्तेमाल दूसरे देशों पर दबाव बनाने या जवाब देने के लिए भी किया जाता है। जैसे अगर कोई देश हमारे प्रोडक्ट पर टैक्स बढ़ाता है, तो हम भी उनके प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगा सकते हैं।
टैरिफ बढ़ने से भारत को कैसे नुकसान हो सकता है?
भारत, अमेरिका को दवाइयां, कारें, स्टील, इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़े जैसे प्रोडक्ट बेचता है। लेकिन अगर अमेरिका इन पर 27% तक का टैरिफ (टैक्स) लगा देता है, तो ये सामान वहां बहुत महंगे हो जाएंगे। जब भारतीय प्रोडक्ट अमेरिका में महंगे हो जाएंगे, तो वहां के लोग उन्हें कम खरीदेंगे। इससे भारत की कंपनियों की बिक्री घट सकती है। साथ ही, अमेरिकी कंपनियां भी भारत से कम सामान मंगवाएंगी, जिससे भारत के निर्यात (Export) करने वाले कारोबारियों को नुकसान हो सकता है।
विदेशी सामान पर भारत क्यों लगाता है ज्यादा टैरिफ?
भारत अपने घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए बाहर से आने वाले सामान पर ज्यादा टैक्स (टैरिफ) लगाता है। इससे होता ये है कि विदेशी सामान महंगा हो जाता है और लोग देश में बना सामान खरीदते हैं। इससे देश की कंपनियों को फायदा होता है। भारत काफी समय से ऐसी नीति अपनाता आया है, जिससे अपने उद्योगों को विदेशी कंपनियों से होने वाली प्रतियोगिता से बचाया जा सके। इसे ही रक्षा व्यापार नीति कहा जाता है। वहीं दूसरी ओर, अमेरिका हमेशा खुला व्यापार (फ्री ट्रेड) चाहता रहा है, यानी कम टैरिफ। लेकिन अब ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारत, अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर ज्यादा टैक्स लगा रहा है। इसलिए अमेरिका भी अब भारतीय सामान पर टैरिफ बढ़ाने की बात कर रहा है।
किस देश पर अमेरिका ने कितना टैरिफ लगाया?
अमेरिका ने अलग-अलग देशों से आने वाले सामानों पर अलग-अलग दर से टैरिफ लगाया है। भारत से आने वाले प्रोडक्ट्स पर अमेरिका ने 27% टैरिफ लगाया है। वहीं, पाकिस्तान पर 29%, चीन पर सबसे ज्यादा 54%, और बांग्लादेश पर 37% टैक्स लगाया गया है। इसके अलावा श्रीलंका पर 44%, वियतनाम पर 46%, म्यांमार पर 44%, कंबोडिया पर 49%, और लाओस पर 48% टैरिफ लगाया गया है।
थाईलैंड (36%), ताइवान (32%), इंडोनेशिया (32%), कजाकिस्तान (27%), साउथ कोरिया (25%), और जापान (24%) भी इस लिस्ट में शामिल हैं। साथ ही, मलेशिया, ब्रुनेई पर भी 24%, फिलिपींस पर 17% और सिंगापुर पर सबसे कम 10% टैरिफ लगाया गया है। इस तरह अमेरिका ने कई देशों से आने वाले सामान पर भारी-भरकम टैक्स लगाकर अपनी बाजार नीति को सख्त किया है।
टैरिफ बढ़ाने का मामला नया नहीं है
अमेरिका में टैरिफ बढ़ाए जाने का मामला पहली बार नहीं हुआ है। 1990 के दशक में जब बिल क्लिंटन राष्ट्रपति थे, तब उन्होंने सरकारी खर्च कम करने के लिए कई कर्मचारियों की नौकरियां कम कर दी थीं, जिससे सरकार को पैसे की बचत हुई। अमेरिका ने इससे पहले भी कई देशों पर टैक्स (टैरिफ) लगाए हैं। लेकिन इतिहास में दो बार, जब साल 1828 और 1930 में बहुत ज्यादा टैरिफ लगाया गया, तो इसका बुरा असर पड़ा और देश को आर्थिक मंदी (Recession) का सामना करना पड़ा। इससे ये समझा जा सकता है कि टैरिफ जरूरत से ज्यादा बढ़ाने से देश की अर्थव्यवस्था (economy) पर उल्टा असर भी पड़ सकता है।