अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन सहित कई दूसरे देशों द्वारा उच्च शुल्क लगाए जाने की आलोचना की और इसे ‘‘बेहद अनुचित’’ करार दिया। ट्रंप ने साथ ही घोषणा की है कि दो अप्रैल से जवाबी शुल्क लगाए जाएंगे। ट्रंप ने मंगलवार रात कांग्रेस यानी अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। ये उनके दूसरे कार्यकाल का पहला संबोधन था।
रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जवाबी शुल्क एक ऐसा टैक्स या व्यापार प्रतिबंध है जो एक देश दूसरे देश पर तब लगाता है, जब वो देश भी उसी तरह का टैक्स या प्रतिबंध पहले देश पर लगाता है। इसका मतलब ये कि अगर एक देश दूसरे देश के सामान पर 100 फीसदी टैक्स लगाता है, तो दूसरा देश भी उसी तरह का टैक्स लगा सकता है। इसका मकसद व्यापार में संतुलन बनाना होता है।
देश बेहतर व्यापार शर्तों पर बातचीत करने या घरेलू उद्योगों की रक्षा करने के लिए जवाबी शुल्क का इस्तेमाल करते हैं। अमेरिका 2021-22 से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है और भारत के कुल वस्तु निर्यात में इसका हिस्सा लगभग 18 प्रतिशत है।
2023 में वस्तुओं और सेवाओं में अमेरिका-भारत द्विपक्षीय व्यापार 190 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा रहा। इसमें भारत के पक्ष में 43.65 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ था। 2024 में भारत के साथ अमेरिकी वस्तु व्यापार घाटा 45.7 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। ये 2023 के मुकाबले 5.4 प्रतिशत ज्यादा है।
ट्रंप ने दो चरणों में चीन के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क बढ़ोतरी की घोषणा की है और मांग की है कि चीन फेंटानिल पर अमेरिकी चिंताओं का समाधान करे। फेंटानिल एक शक्तिशाली ओपिओइड है, जिसे अमेरिका में बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं की लत के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको से आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की भी घोषणा की है। जवाब में चीन ने प्रमुख अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 15 प्रतिशत तक अतिरिक्त शुल्क लगाने का ऐलान किया है।
शुल्क आमतौर पर आयातित वस्तुओं को ज्यादा महंगा बनाने और विनिर्माण और कृषि सहित घरेलू क्षेत्रों को बचाने के लिए लगाए जाते हैं। हालांकि, उच्च आयात शुल्क महंगाई को बढ़ाने वाले भी हो सकते हैं, क्योंकि वे घरेलू उद्योगों के लिए इनपुट की लागत बढ़ा देते हैं।
पिछले महीने प्रधानमंत्री मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को साफ कर दिया था कि अमेरिका जवाबी शुल्क लगाने से भारत को नहीं बख्शेगा। साथ ही ट्रंप ने इस बात पर जोर दिया कि शुल्क संरचना पर कोई भी उनसे बहस नहीं कर सकता।