केदारनाथ, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक पौराणिक हिंदू धार्मिक स्थल है। केदारनाथ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। हिमालय की गोद में स्थित केदारनाथ मंदिर, हिंदू धर्म के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता है। केदारनाथ का नाम दो संस्कृत शब्दों से उत्पन्न हुआ है केदार और नाथ। केदार का अर्थ है क्षेत्र या भूमि, और नाथ का अर्थ है स्वामी या भगवान। इस प्रकार केदारनाथ का अर्थ हुआ “भूमि के भगवान” या “क्षेत्र के स्वामी”। केदारनाथ की कथा बहुत ही प्रसिद्ध मानी जाती है, जो महाभारत से भी जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद पांडवों और माता द्रौपदी को अपने संबंधियों की हत्या का गहरा पश्चाताप हुआ। ऋषियों ने उन्हें सलाह दी कि वे अपने पापों से मुक्त होने के लिए भगवान शिव की शरण में जाएं, जिससे उन्हें शांति प्राप्त होगी।
इस सुझाव को स्वीकार करके पांडव और माता द्रौपदी भगवान शिव की खोज में निकल पड़े। वे पहले वाराणसी गए, लेकिन वहां शिव नहीं मिले। फिर वे कैलाश पहुंचे, लेकिन शिव वहां से भी अदृश्य हो गए। इस प्रकार, पांडव जहां-जहां भी भगवान शिव की खोज में जाते, शिव वहां से किसी और स्थान पर चले जाते।
यात्रा करते-करते पांडव केदार क्षेत्र जा पहुंचे। वहां भगवान शिव उन्हें एक बैल के रूप में दिखाई दिए। जैसे ही पांडव उनके पास पहुंचे, भगवान शिव बैल के रूप में धरती में समाने लगे। यह दृश्य देखकर भीम ने दौड़कर बैल की पीठ पकड़ ली और उन्हें धरती में समाने से रोक लिया। इसके बाद भगवान भोलेनाथ अपने वास्तविक स्वरूप में प्रकट हुए और पांडवों व माता द्रौपदी को दर्शन देकर उन्हें उनके पापों से मुक्ति प्रदान की। तभी से भगवान शिव इस पवित्र स्थल पर बैल के कूबड़ रूप में विराजमान हैं और यह क्षेत्र “केदार धाम” कहलाया।
इस वर्ष भी यात्रा की शुरुआत से ही एक अलग ऊर्जा महसूस की जा रही है। मानो हर कोई बाबा के दरबार में अपनी अर्जी लेकर आया हो। देश के कोने-कोने से लोग केदार धाम पहुंच रहे हैं, और कुछ ही दिनों में पांच लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा के दर्शन कर एक नया रिकॉर्ड बना चुके हैं।केदारनाथ का नाम केवल एक स्थान को नहीं दर्शाता, बल्कि यह हिंदू धर्म की आस्था, पौराणिक कथाओं और परंपराओं का भी प्रतीक है।