दिल्ली में अब होटल, गेस्ट हाउस, मोटल और इटिंग हाउस समेत व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को दिल्ली पुलिस से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है, जिसके तहत दिल्ली पुलिस एक्ट 1978 के तहत इन कैटेगरी में लाइसेंसिंग की अनिवार्यता को हटा दिया गया है। उप-राज्यपाल के इस कदम का नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने स्वागत किया है।
ये सरकारी आदेश स्वीमिंग पूल, डिस्कोथेक, वीडियो गेम पार्लर, एम्यूजमेंट पार्क और ऑडिटोरियम जैसे सात तरह के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर लागू होगा। व्यापारिक समुदाय, उप-राज्यपाल के इस कदम का स्वागत कर रहा है। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि इसे पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जाना चाहिए था।
उप-राज्यपाल के इस आदेश के बाद लाइसेंस देने की शक्ति अब स्थानीय नगर प्रशासन निकायों के पास चली जाएगी। उसके इस फैसले का मकसद पुलिस को गैर-जरूरी कर्तव्यों से मुक्त करना और लाइसेंस के लिए वेटिंग टाइम को कम करना है। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का कहना है कि राजधानी में व्यापारिक गतिविधियों से संबंधित लाइसेंसिंग प्रक्रिया में व्यापक सुधार सरकार की दूरदर्शी सोच और सकारात्मक प्रशासनिक दृष्टिकोण का नतीजा है।