नयी दिल्ली, आठ नवंबर (भाषा) केंद्र ने कर्नाटक में 2,000 मेगावाट की शरावती पंप स्टोरेज जलविद्युत परियोजना के लिए पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील पश्चिमी घाट में करीब 54 हेक्टेयर वन भूमि देने के प्रस्ताव को टाल दिया है।
पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति के सदस्यों द्वारा गंभीर पारिस्थितिकी चिंताओं और वन कानूनों के उल्लंघन का मुद्दा उठाए जाने के बाद यह निर्णय लिया गया।
पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति की 27 अक्टूबर को हुई 11वीं बैठक के विवरण के अनुसार, प्रस्तावित परियोजना क्षेत्र शरावती घाटी शेर-पूंछ मकाक (बंदर की एक प्रजाति) अभयारण्य के अंतर्गत आता है, जो पश्चिमी घाट के मध्य क्षेत्र में स्थित है।
समिति ने कहा कि इस परियोजना में 15,000 से ज्यादा पेड़ों को काटा जाना है, जिनमें से कई पश्चिमी घाट के स्थानिक हैं। पश्चिमी घाट 34 वैश्विक जैव विविधता केंद्रों में से एक है।
समिति ने कहा कि इस क्षेत्र में ‘‘उष्णकटिबंधीय आर्द्र सदाबहार, अर्ध-सदाबहार और शोला घास के मैदानों के वन’’ हैं, जो अत्यधिक संवेदनशील और जटिल पारिस्थितिकी तंत्र हैं, जिन्हें ‘‘यदि नष्ट कर दिया जाए, तो उनकी मूल स्थिति में बहाल नहीं किया जा सकता।’’
बैठक के विवरण में कहा गया है कि परियोजना स्थल शेर-पूंछ वाले मकाक, बाघ, तेंदुआ, भालू, जंगली कुत्ते, किंग कोबरा, मालाबार विशाल गिलहरी और अन्य दुर्लभ और स्थानिक प्रजातियों का वास स्थान है।
भाषा शफीक सुभाष
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