जम्मू कश्मीर के चुनाव में किश्तवाड़ की सीट पर शगुन परिहार ने जीत हासिल की। सगुन परिहार के परिवार ने आंतकवाद का दंश झेला है। शगुन ने आतंकी हमलों में पिता और चाचा को खोया है। लेकिन विचलित करने वाली इन घटनाओं से उसने हौसला नहीं खोया। बीजेपी ने उसे किश्तवाड़ की उस सीट पर प्रत्याशी बनाया जहां सत्तर प्रतिशत मुस्लिम आबादी थी। शगुन के लिए पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंच से जिताने का खास आह्वान किया था। आखिर शगुन ने यह सीट जीत कर दिखाई.
जम्मू कश्मीर में बीजेपी ने जिन 29 सीटों को हासिल किया है उनमें किश्तवाड़ की सीट का अपना अलग महत्व है। इस सीट पर शगुन परिहार ने जीत हासिल की है। शगुन के पिता अजीत परिहार और चाचा अनिल परिहार की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। दोनों ही भारतीय जनता पार्टी के नेता थे। अनिल परिहार तो जम्मू कश्मीर में बीजेपी के सचिव के पद पर थे। इस परिवार ने आतंकवाद का दंश झेला। जब शगुन के पिता और चाचा की हत्या हुई तो शगुन केवल 23 साल की थी। शगुन की जगह शायद कोई होता तो इन सब से सहम जाता। लेकिन शगुन ने अपना हौसला रखा। वह आतंकवाद के खिलाफ और मुखर हुई। जम्मू कश्मीर में अऩुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार राज्य विधानसभा के चुनाव हुए तो बीजेपी ने शगुन को किश्तवाड का टिकट दिया। यह मुस्लिम बहुल सीट है। शगुन ने नेशनल कांफ्रेस के दो बार के विधायक सज्जाद अहमद किचलु को हराया। बेशक उन्हें केवल 551 वोट से जीत हासिल हुई। लेकिन राज्य की सियासत में इस जीत का बहुत बड़ा संदेश है। भारतीय जनता पार्टी का किश्तवाड में परचम फैलना बड़ा महत्व रखता है। शगुन जम्मू कश्मीर में चुनाव जीतने वाली तीन महिलाओं में एक है। शगुन शानदार वक्ता है अपनी बात को प्रखरता से रखती है। निश्चित बीजेपी के लिए वह कश्मीर में एक बड़ी आवाज है। शगुन की यह आसान जीत नहीं थी। उन्होंने नेशनल कांफ्रेस के दिग्गज नेता को हराया है। किचलु के पिता ने तीन बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है। इससे समझा जा सकता है शगुन ने नेशनल कांफ्रेस के गढ़ को ध्वस्त किया।
शुरू में उनका चुनाव लड़ना ही प्रतिकात्मक माना जा रहा है। लेकिन किश्तवाड़ की बेटी के तौर पर उन्होंने घर घर वोट मांगे। और किश्तवाड़ की जनता ने उन्हें विधानसभा में पहुंचाया है। इसे इस तौर पर भी देखा जा सकता है कि इसी सीट पर पीडीपी उम्मीदवार की जमानत जब्त हुई है।
शगुन परिहार ने इस जीत के बाद किश्तवाड़ के लोगों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाकर उन पर भरोसा जताया। इस क्षेत्र की सुरक्षा करना उनकी प्राथमिकता है। गौरतलब है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 सितंबर को डोडा की पहली चुनावी रैली में राज्य की जनता से संवाद करते हुए इस घटना का जिक्र किया था। तब मोदी ने कहा था कि केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवाद का समूल खत्म करने के संकल्प के साथ बीजेपी वोट मांग रही है। यहां जो बलिदान हुए हैं बीजेपी उसे याद करती है। हमारी बेटी शगुन के पिता और चाचा की हत्या की गई। हमने उसे चुनावी मैदान में उतार दिया है। शगुन केवल हमारी उम्मीदवार नहीं। आतंकवाद को खत्म करने का भाजपा के संकल्प का जीवंत उदाहरण है।
पीएम मोदी कर चुके हैं तारीफ
शगुन परिहार पोस्ट ग्रेजुएट हैं। उसने आई के गुजराल पंजाब तकनीकी विश्वविद्यालय से एमटेक किया है। अपने परिवार पर आई विपदा के बाद शगुन ने हिम्मत नहीं हारी। बल्कि आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज और बुलंद की। वह हर उस धारा से जुड़ी जो आतंकवाद के खिलाफ मुखर थी। शगुन अपने रास्ते से विचलित नहीं हुई। जम्मू कश्मीर के उन इलाकों में वह कभी डरी नहीं।