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महात्मा गांधी के जीवन दर्शन को संरक्षित रखता है वर्धा का सेवाग्राम आश्रम, जानें कई और रोचक बातें

Maharashtra News: महाराष्ट्र के वर्धा में सेवाग्राम आश्रम गांधीवादी विचारधारा से जुड़े लोगों के लिए ऊर्जा का केंद्र है। इस आश्रम की स्थापना 1936 में महात्मा गांधी ने की थी।  स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्होंने इसे अपना निवास और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के लिए मुख्यालय बनाया था। आश्रम ने न केवल गांधीजी से जुड़ी चीजों को संरक्षित रखा है, बल्कि उन आदर्शों को भी जीवित रखा है जिसके लिए वे जीते थे।

सेवाग्राम आश्रम अपने रख-रखाव के लिए सरकार से कोई अनुदान या सहायता नहीं लेता है। आश्रम का दावा है कि यहां पर काता और बुना गया कपड़ा 100 फीसदी खादी होता है। सेवाग्राम आश्रम में गांधीजी ने अपने जीवन के 12 साल बिताए थे और इस आश्रम की सबसे खास बात ये है कि साल 1937 में गांधी जी ने यहां पर ही नई तालीम का अपना मसौदा पेश किया था। 

अगर आपको गांधी जी के जीवन दर्शन को समझना है तो सेवाग्राम आश्रम बेहतरीन जगह है। ये आश्रम बापू के कई विचारों का जन्मस्थान रहा है जिसने एक नए उभरते राष्ट्र को आकार दिया। 1942 में शुरू किए गए भारत छोड़ो आंदोलन का फेमस नारा 'करो या मरो' को यहीं पर गढ़ा गया था। ये आश्रम गांधीजी के कई और विचारों और सोशल एक्सपेरिमेंट का भी साक्षी रहा है जिनमें ग्रामीण आर्थिक विकास, स्वास्थ्य और स्वच्छता पर फोकस शामिल है।