दुनिया के सबसे बड़े उद्योगपतियों में एक रतन टाटा ने 86 साल की उम्र में अंतिल सांस ली. देशप्रथम की सोच रखने वाले रतन टाटा के निधन पर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी है. अकूत दौलत होने के बावजूद वे अपनी साधारण जीवन शैली को जीते आए. नामुनकिन को मुमकिन करने का दम रखने वाले रतन टाटा की कहानी आज और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. खामोशी से कामयाबी का मंत्र जानने वाले देश के अनमोल रतन टाटा देश को अलविदा कह गए.
रतन टाटा को दुनिया एक बड़े उद्योगपति से ज्यादा एक सच्चे देशभक्त, समाजसेवी और एक दरियादिल इंसान के तौर पर जानती है. एक ऐसी शख्सियत जिन्होंने भारत के आज और कल को सुरक्षित करने के लिए अपनी पूरी जिदंगी लगा दी. यही वजह है कि जो प्यार रतन टाटा को लोगों से मिला है वो किसी अन्य उद्योगपति के लिए सपना हो सकता है. रोजगार देना हो या भारत को शक्तिशाली करना हो, प्रदूषण कम करने के लिए कदम उठाना हो या फिर भारत के हजारों गांवो में साफ पानी पहुंचाना हो, भारतीय कारोबार की रीढ़ टाटा ग्रुप के पुर्व चेयरमैन को हमेशा एक एसे उद्योगपति के रूप में जाना गया जिसने हमेशा अपने कारोबरियों का साथ दिया.
कोरोना के वक्त जब तमाम बड़ी कंपनियां बड़े पैमाने पर अपने कर्मचारियों की छटनी कर रहीं थी तब रतन टाटा ने इसका विरोध करते हुए इसे नैतिकता के खिलाफ बताया था. यही नहीं उन्होंने कोरोना समय में सबसे बड़ी मदद देकर देश में मिसाल पेश की. नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाली कंपनी टाटा का 21 साल रतन टाटा ने नेतृत्व किया.
टाटा ग्रुप के छोटे से छोटे कर्मचारी की सम्मान करने वाले रतन टाटा भले ही आज दुनिया से दूर चले गए हो लेकिन 140 करोड़ देशवासियों के दिल में वो अनमोल रत्न बनकर रहेंगे. रतन टाटा ने अपनी विरासत को एक नए मुकाम पर पहुंचाया है. Tata Group का कारोबार पूरी दुनिया में फैला हुआ है और घर की रसोई से लेकर आसमान में हवाई जहाज तक ये नाम मौजूद है. समूह की 100 से ज्यादा लिस्टेड और अनलिस्टेड कंपनियां हैं और इनका कुल कारोबार करीब 300 अरब डॉलर का है.