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ओडिशा में दाना जैसा चक्रवात क्यों हो जाता हैं फेल, सुपर साइक्लोन के 25 साल बाद ये राज्य कैसे बना रोल मॉडल

ओडिशा में आधिकारिक अनुमान के मुताबिक 25 अक्टूबर, 1999 को आए सुपर साइक्लोन की वजह से 10 हजार लोग मारे गए थे। करीब पांच दिन तक इसने तबाही का ऐसा मंजर छोड़ा, जिससे राज्य सालों तक जूझता रहा। 

लेकिन इन 25 साल में ओडिशा ने खुद को ऐसा बदला कि वे बेहतर आपदा प्रबंधन के मामले में दूसरे राज्यों के लिए नजीर साबित हो सकता है। त्रासदी के बाद के सालों में राज्य ने गलतियों से सीखा और ऐसी प्रणाली बनाई ताकि ऐसे साइक्लोन से निपटा जा सके। दाना साइक्लोन ने निपटने के लिए ओडिशा सरकार ने एहतियात के तौर पर पहले से ही कई कदम उठाए। यही वजह है कि 25 साल बाद, जैसे ही चक्रवात दाना राज्य में आया, योजना का असर दिखने लगा हैं। कोई बड़ी हताहत या जानमाल का नुकसान देखने को नहीं मिला।

महत्वपूर्ण बात ये है कि राज्य ने स्थानीय समुदायों को प्रयास के केंद्र में रखकर आपदा प्रबंधन के पारंपरिक दृष्टिकोण को छोड़ दिया। जैसे, जमीनी स्तर के लोगों - ग्राम पंचायतों, महिला स्वयं सहायता समूहों और स्वयंसेवकों के एक लाख से अधिक कैडर को आपदा जोखिम को कम करने और बचाव और राहत कार्यों का प्रबंधन करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। हर साल जून और नवंबर में ओएसडीएमए राज्य भर में दो बड़े समुदाय आधारित मॉक ड्रिल आयोजित करता है, जिसमें कई सरकारी विभाग, जिला कलेक्टर, ग्राम पंचायत, गैर सरकारी संगठन और हजारों प्रशिक्षित स्वयंसेवक शामिल होते हैं।

साथ ही, तटीय राज्य के निचले इलाकों से लोगों को जल्द से जल्द निकालने की व्यवस्था भी लागू की गई थी। एनडीआरएफ और राज्य आपदा राहत बलों, पुलिस और सशस्त्र बलों और जिला स्तर पर सरकारी कर्मचारियों की मदद से, ओडिशा राज्य में अक्सर आने वाले तूफानों से होने वाले नुकसान को कम करने में सक्षम रहा है।