हिंदू धर्म में विवाह के बाद हर स्त्री के लिए सोलह श्रृंगार बहुत मायने रखता है। श्रृंगार सिर्फ एक स्त्री की सुंदरता में चार चांद ही नहीं लगाता, बल्कि यह एक स्त्री के जीवन में परिवर्तन और समाज में उसकी पहचान को एक नए रुप में प्रस्तुत करता है। इन सोलह श्रृंगार में एक श्रृंगार ऐसा है जो ना सिर्फ विवाहित स्त्रियों के सुहाग का रक्षा कवच माना जाता है बल्कि इसके बिना सुहागिनों का श्रृंगार भी अधूरा माना जाता है। हम बात कर रहे है सोलह श्रृंगार का सबसे बड़ा प्रतीक मंगलसूत्र की जिसे विवाह के बाद ही पहना जाता है। हिंदू धर्म में मंगलसूत्र को एक खास जगह दी गई है।
मंगलसूत्र को किसी भी सुहागिनों के सोलह श्रृंगार में से एक माना जाता है। मंगल का मतलब होता है पवित्र और सूत्र का मतलब होता है धागा यानी मंगलसूत्र एक पवित्र धागा है। जो विवाह के समय वर द्वारा बधू के गले में पहनाया जाता है और उसके बाद जब तक स्त्री सौभाग्यवती रहती है, तब तक वह निरंतर मंगलसूत्र पहनती है। जो परंपरागत तौर पर सदियों से चला आ रहा है। ऐसी मान्यता है कि मंगलसूत्र सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित कर सुहागिनों के दिमाग और मन को शांत रखता है। इतना ही नहीं जब एक महिला मंगलसूत्र पहनती है, तो वह अपने विवाहित जीवन को हर बुरी नजर भी बचाती है।
मंगल सूत्र के काले मोती को बेहद खास माना गया है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यह भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती के बीच एक बंधन का प्रतीक है और मंगलसूत्र में सोना देवी पार्वती और काले मोती भगवान शिव का प्रतीक हैं। हिंदूधर्म में मंगलसूत्र विवाहित स्त्रियों के सुहाग का रक्षा कवच माना जाता है। मंगलसूत्र हर बुरी नजर से रक्षा करता है। मंगलसूत्र में पिरोए गए काले मोती से काल यानी अशुभ शक्तियां दूर रहती है। मंगलसूत्र में जो काला मोती होता है वह बुरी नजर से बचाता है और सोने का लॉकेट सुहागिनों को ऊर्जा देता है। ऐसा कहा जाता है कि जब एक सुहागिनों हर रोज मंगलसूत्र पहनती है तो वह अपने सुहाग के साथ अपने पवित्र रिश्ते को हर बुराई से बचाने का काम करती है।
मंगलसूत्र पहनने की परंपरा का मनुस्मृति में वर्णन मिलता है। मंगलसूत्र को विवाह का प्रतीक चिन्ह और सुहाग की निशानी माना जाता है। इसलिए विवाह के बाद सुहागिनों स्त्रियां इसे श्रद्धापूर्वक गले में धारण करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंगलसूत्र का पीला भाग पार्वती और काला भाग भगवान शिव का प्रतीक होता है। विवाह के बाद भगवान शिव और पार्वती सुहाग की रक्षा करते हैं। यह मंगलसूत्र कई जगहों पर पीले धागे से बनता है। मंगलसूत्र में पीले रंग का होना भी जरूरी है। पीले धागे में काले रंग के मोती पिरोए जाते हैं। कहा जाता है कि काला रंग शनि देवता का प्रतीक होता है। ऐसे में काले मोती विवाहितों और उनके सुहाग को बुरी नजर से बचाते हैं। पीला रंग बृहस्पति ग्रह का प्रतीक होता है जो शादी को सफल बनाने में मदद करता है।
सुहागिनों के जीवन में सोलह श्रृंगार का महत्व स़िर्फ सजने-संवरने के लिए ही नहीं है। इसके पीछे कई वैज्ञानिक तथ्य भी छुपे हैं। दरअसल सोलह श्रृंगार का सुहागिनों के स्वास्थ्य और सौभाग्य से गहरा संबंध है। माना जाता है कि मंगलसूत्र पहनने से सुहागिनों के शरीर का ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। मंगलसूत्र में काले मोती निगेटिव ऊर्जा को दूर रखते हैं और दर्द और बेचैनी को भी कम करने का काम करते हैं। मोती और चांदी मस्तिष्क को शीतलता देते हैं और सोने से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह होता है। इतना ही नहीं मंगलसूत्र से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन भी सही तरीके से होता है।