गुजरात में अहमदाबाद के ऐतिहासिक जमालपुर इलाके में महिला कारीगरों का एक खास समुदाय पतंग बनाने की पारंपरिक कला को जिंदा रखे हुए है। साथ ही वे सदियों पुराने पेशे से होने वाली आमदनी से अपने परिवार का खर्च चला रही
हैं। शहर की मशहूर कांच की मस्जिद के पास ये कुशल मुस्लिम महिला कारीगर पूरे साल जमकर मेहनत करती हैं और अपने छोटे-छोटे घरों में बैठकर हर दिन हजारों पतंगें बनाती हैं।
हालांकि पतंगों के लिए जाने जाने वाले गुजरात के उत्तरायण त्योहार से पहले इन महिला कारीगरों का काम कुछ ज्यादा बढ़ जाता है। ये त्योहार पंतग बनाने वाली इन महिला कारीगरों के लिए खुशियों की सौगात लेकर आता है। उनके लिए उत्तरायण साल भर की कड़ी मेहनत का आमदनी के तौर पर इनाम लेकर आता है।
जमालपुर को खास बनाने वाली बात ये है कि ये अहमदाबाद का इकलौता ऐसा इलाका है जहां सिर्फ महिला पतंग कारीगर ही रहती हैं और काम करती हैं। महिला कारीगरों की इस अनूठी लगन ने एक ऐसा खास समुदाय बना दिया है जहां महिलाओं को आमदनी के मौके दिए जाने के साथ-साथ पतंग बनाने के कौशल और परंपराओं को संरक्षित किया जाता है।
पूरा गुजरात उत्तरायण उत्सव मनाने की तैयारी में जुटा है तो वहीं ये महिलाएं पूरी लगन से अपना काम कर रही हैं। इनके किस्से-कहानियों में सांस्कृतिक विरासत, महिला सशक्तीकरण और आर्थिक स्थिरता का ताना-बाना साफ नजर आता है। इन महिला कारीगरों की बनाईं पतंगें सिर्फ त्योहार से जुड़ी मांगों को ही पूरा नहीं करतीं बल्कि ये आधुनिक भारत में पारंपरिक शिल्प कौशल की झलक भी दिखलाती हैं।
इन महिला कारीगरों द्वारा इस शिल्प का संरक्षण ये सुनिश्चित करता है कि गुजरात का आसमान उनकी बनाई रंग-बिरंगी पतंगों से भरा रहेगा। साथ ही उनकी कुशल कारीगरी उनके लिए आजादी और सम्मान के नए दरवाजे खोलता रहेगा।
उत्तरायण त्योहार के लिए पंतगें बनाने में जुटी हैं अहमदाबाद की महिला कारीगरों की टीम
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