मध्य प्रदेश के उज्जैन में इन दिनों एक खास प्रदर्शनी लगी हुई है। इस प्रदर्शनी में चाहे वो लोगों को अलग ही दुनिया में ले जाने वाली तिब्बती सिंगिंग बाउल से आने वाली सुरीली आवाज हो, या फिर टंग ड्रम से निकलकर दिलों तक पहुंचने वाली मधुर धुनें हों, हर तरह के यंत्र देखने को मिल रहे हैं।कभी शाही दरबारों और सांस्कृतिक उत्सवों का खास हिस्सा रहे इन दुर्लभ वाद्ययंत्रों का दीदार करने का लोगों को मौका मिला है। प्रदर्शनी में रखे गए ये वाद्य यंत्र अपने गौरवशाली इतिहास की झलक भी पेश कर रहे हैं।
दुर्लभ वाद्य यंत्रों की ये खास प्रदर्शनी मध्य प्रदेश के उज्जैन में चल रहे विक्रम उत्सव 2025 का खास हिस्सा है। इसका आयोजन कालिदास अकादमी ने किया है। इस प्रदर्शनी में संगीत प्रेमियों को सिर्फ भारत के नहीं बल्कि दूसरे देशों के वाद्य यंत्रों को देखने का मौका मिल रहा है। हर दुर्लभ वाद्य यंत्र अपने आप में एक अनूठा इतिहास समेटे हुए हैं। इनमें गुजरे जमाने की धुनों की गूंज सुनाई देती है।
इस प्रदर्शनी का मकसद पीढ़ियों के बीच पुल का काम करना, युवाओं को समृद्ध संगीत विरासत से जोड़ना और इन शानदार वाद्ययंत्रों के पीछे छिपी कलात्मकता को सराहने का मौका देना है। इस प्रदर्शनी में छह देशों और कई राज्यों के वाद्य यंत्र रखे गए हैं। चार मार्च से चल रही ये प्रदर्शनी 30 मार्च को खत्म होगी।