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पंजाब हरियाणा बॉर्डर पर किसान आंदोलन के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई

अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों ने दिल्‍ली कूच का इरादा कुछ समय के लिए टाल दिया है लेकिन वे हाईवे पर जमे हुए हैं. आज इन्‍हीं किसानों के आंदोलन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट में 7 नवंबर को दाखिल की गई एक याचिका में मांग की गई थी कि शंभू बॉर्डर सहित अन्‍य को खोलने को लेकर पंजाब और हरियाणा सरकार को निर्देश दिए जाएं. याचिका में कहा गया है कि हाईवे पर जाम करना, अन्‍य लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्‍लंघन है. यह नेशनल हाईवे एक्‍ट और बीएनएस के तहत अपराध है. दरअसल किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि हाईवे की सुरक्षा जरूरी है और इस पर यातायात रोकने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. कोर्ट से यह प्रार्थना की गई है कि वह केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों को निर्देश दें और प्रदर्शनकारी किसानों को हाईवे से हटाया जाए. इधर, किसान नेता सरवण सिंह पंढेर ने कहा कि इस वक़्त हम शम्भू बॉर्डर पर खड़े हैं और सब जानते हैं कि हम एमएसपी खरीद की लीगल गारंटी कानून की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा, किसान मजदूर की कर्जमाफी और अन्य 12 मांगों पर किसानों के हित में आंदोलन कर रहे हैं.

किसानों का ‘दिल्ली चलो’ प्रदर्शन रविवार से फिर शुरू हुआ. अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आगे बढ़ रहे किसानों को पुलिस ने रोक दिया और उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े. शंभू बॉर्डर पर पुलिस ने किसानों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया है. बावजूद इसके किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. अंबाला रेंज आईजी सिबाश कबिराज ने कहा कि ऐसे बिना अनुमति के दिल्‍ली मार्च करना ठीक नहीं है. किसान संगठन को पहले दिल्‍ली प्रशासन से अनुमति लेनी चाहिए फिर यह अंबाला प्रशासन को दिखाकर ही अपना आंदोलन करना चाहिए. अभी किसान संगठनों ने हमें कोई दस्‍तावेज शेयर नहीं किया है.