जम्मू कश्मीर में उरी के दचना सलामाबाद में बड़े पैमाने पर जिप्सम की खुदाई होती है। जिप्सम का इस्तेमाल कंस्ट्रक्शन, खेती, सीमेंट बनाने और कई उद्योगों में किया जाता है। जिप्सम खदानों के आसपास रहने वालों की शिकायत है कि खुदाई की वजह से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा है। इससे न सिर्फ ध्वनि और धूल प्रदूषण होता है, बल्कि लोगों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है।
कुछ लोगों का कहना है कि जिप्सम खुदाई से तपेदिक जैसी बीमारियां बढ़ी हैं। डॉक्टर बताते हैं कि जिप्सम की खुदाई से बड़ी मात्रा में महीन धूल पैदा होती है। ये सेहत को काफी नुकसान पहुंचाती है।
पर्यावरण के जानकारों का कहना है कि सरकार को जिप्सम की खुदाई से होने वाले प्रदूषण का आकलन करने के लिए सर्वे कराना चाहिए और प्रदूषण रोकने के लिए उचित कार्रवाई करनी चाहिए।
लोगों ने जिप्सम खुदाई से पानी का स्रोत प्रदूषित होने का भी आरोप लगाया है। उनकी सरकार से अपील है कि घाटी की कुदरती खूबसूरती और शांति बनाए रखने के लिए फौरन खुदाई पर रोक लगाई जाए।