Delhi: क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक दिल्ली के लद्दाख भवन में अपने साथियों के साथ धरना दे रहे हैं। उन्हें जंतर-मंतर पर अनशन करने की इजाजत नहीं मिली। वांगचुक लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं। वांगचुक और उनके समर्थक अपनी मांग को लेकर लेह से दिल्ली तक पैदल चलते हुए पहुंचे और 30 सितंबर को सिंघू बॉर्डर पर उन्हें हिरासत में ले लिया गया।
'दिल्ली चलो पदयात्रा' का नेतृत्व लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) कर रही है। प्रदर्शनकारियों को दिल्ली पुलिस ने दो अक्टूबर की रात रिहा कर दिया था। रविवार को वांगचुक शाम करीब चार बजे लद्दाख भवन से बाहर निकले और घोषणा की कि वे अनशन पर बैठने जा रहे हैं।
वांगचुक ने कहा, बातचीत लद्दाख में हमारे नेताओं के साथ बात हो रही थी, लेकिन बात नहीं बन पाई। उन्हें बताना चाहिए कि वे इसे क्यों नहीं दे रहे हैं। ये एक राजनीतिक मांग नहीं हैं, मैं कोई राजनेता नहीं हूं, बल्कि एक एनवायरमेंटलिस्ट हूं। मैं पिछले 35 सालों से काम कर रहा हूं। मैं समझ गया हूं कि लोकल लोग स्टेकहोल्डर हैं और इसलिए वे इसे समझते हैं और अपने कर्तव्यों को अच्छी तरह से निभा सकते हैं। एलजी या एक अधिकारी या एक कंपनी पैराशूट की तरह उतरेगी और गलतियां करेगी। ये अच्छा तरीका नहीं है। ये भारत के बाकी हिस्सों में होता है, जहां लोग अपने प्रतिनिधि चुनते हैं। हम चाहते हैं कि ये लद्दाख में भी हो, ये लद्दाख में लोकतंत्र की बहाली होगी।"