दिल्ली में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यमुना नदी में प्रदूषण का मुद्दा गर्माता दिख रहा है। शहर के कालिंदी कुंज जैसे इलाकों में यमुना के किनारे रहने वाले लोग बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। वे तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनकी शिकायत है कि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।
दिल्ली में रहने वाले कई लोगों के लिए यमुना सिर्फ नदी नहीं बल्कि एक पवित्र स्थल भी है, जहां जन्म से लेकर मृत्यु तक के अनुष्ठान किए जाते हैं। हालांकि असहनीय बदबू और नदी का जहरीला पानी यहां आने वाले लोगों की सेहत पर खतरा पैदा कर रहा है।
प्रदूषित यमुना नदी के किनारे रहने वाले लोग हर रोज नई मुश्किल से जूझते दिखते हैं। पानी का कोई दूसरा स्रोत न होने की वजह से झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग नदी के प्रदूषित पानी में नहाने को मजबूर हैं। इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम रहता है।
पर्यावरणविद नदी की हालत के लिए सालों की उपेक्षा को जिम्मेदार ठहराते हैं। वे बताते हैं कि अलग-अलग नालों से नदी में गिरने वाला अनट्रीटेड वेस्टवॉटर यमुना के प्रदूषित होने की सबसे बड़ी वजह है। जानकारों का कहना है कि अगर नदी को साफ करने के लिए कदम उठाने की राजनैतिक इच्छाशक्ति होती तो यमुना की हालत इतनी खराब नहीं होती।
चुनाव नजदीक आते ही इन झुग्गीवासियों ने एक बार फिर यमुना नदी की सफाई के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग उठाई है। हालांकि, उन्हें ये नहीं पता कि उनकी ये मांग किसी राजनैतिक दल या अगली सरकार की प्राथमिकता होगी, या फिर नदी राजनैतिक दोषारोपण का बोझ ढोती रहेगी।