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पेगासस जासूसी मामले में दायर याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट आज एक बार फिर पेगासस जासूसी मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। यह मामला भारतीय लोकतंत्र, नागरिक अधिकारों और गोपनीयता के प्रश्न पर केंद्रित है, जो न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियों में रहा है। पेगासस एक स्पाइवेयर है जिसे इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप ने विकसित किया है। यह स्पाइवेयर मोबाइल फोन में बिना यूजर की जानकारी के घुसकर उसकी सारी जानकारी – कॉल, मैसेज, कैमरा, माइक्रोफोन – तक पहुंच सकता है। जुलाई 2021 में 'पेगासस प्रोजेक्ट' के तहत कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों की जांच में यह सामने आया कि भारत समेत कई देशों में पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, नेताओं और न्यायपालिका से जुड़े लोगों की जासूसी की गई है।

भारत में यह आरोप लगाए गए कि सरकार ने इस स्पाइवेयर का उपयोग कर विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी कराई। सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया, लेकिन उसने यह स्पष्ट नहीं किया कि उसने पेगासस खरीदा था या नहीं। इन आरोपों के सामने आने के बाद, सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गईं। याचिकाकर्ताओं में वरिष्ठ पत्रकार, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2021 में इस मामले में संज्ञान लेते हुए कहा था कि निजता का उल्लंघन गंभीर मुद्दा है और सरकार "राष्ट्रीय सुरक्षा" के नाम पर जांच से बच नहीं सकती।

कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीश जस्टिस आर.वी. रवींद्रन की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र तकनीकी समिति का गठन किया। इस समिति ने 29 मोबाइल फोन की जांच की, जिसमें से पांच में संदिग्ध मैलवेयर पाया गया। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका कि वह पेगासस ही था। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि केंद्र सरकार ने जांच में सहयोग नहीं किया।

आज की सुनवाई का महत्व

29 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जा रही यह सुनवाई इस मामले के कानूनी और संवैधानिक पहलुओं पर आगे की कार्रवाई तय कर सकती है। कोर्ट इस बात पर विचार करेगा कि क्या केंद्र सरकार की ओर से जांच में सहयोग की कमी अदालत की अवमानना है, और क्या पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए विशेष कदम उठाने की आवश्यकता है। यह सुनवाई ऐसे समय हो रही है जब देश में निजता का अधिकार एक संवैधानिक मूल अधिकार के रूप में स्थापित हो चुका है, और डिजिटल तकनीक के दुरुपयोग को लेकर चिंता लगातार बढ़ रही है।

पेगासस मामला केवल तकनीकी जासूसी का नहीं, बल्कि लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों की रक्षा का मामला है। सुप्रीम कोर्ट की आज की सुनवाई से यह स्पष्ट हो सकता है कि देश की न्यायपालिका इस संवेदनशील मुद्दे पर किस तरह का रुख अपनाएगी। आने वाले फैसले भारत के डिजिटल भविष्य और सरकार की पारदर्शिता के लिए दिशासूचक हो सकते हैं।