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सुप्रीम कोर्ट ने इंजीनियर अतुल सुभाष की मां को उनके नाबालिग बेटे की कस्टडी देने से किया इनकार

उच्चतम न्यायालय ने पत्नी के कथित उत्पीड़न के कारण अपनी जान देने वाले एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की मां को पोते की कस्टडी देने से इनकार करते हुए कहा कि वो 'बच्चे के लिए अजनबी' हैं। न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि बच्चे की कस्टडी का मुद्दा निचली अदालत के सामने रखा जा सकता है।

पीठ ने कहा, "मुझे ये कहते हुए खेद हो रहा है कि बच्चा याचिकाकर्ता के लिए अजनबी है। यदि आप चाहें तो कृपया बच्चे से मिल लें। यदि आप बच्चे की कस्टडी चाहती हैं तो इसके लिए एक अलग प्रक्रिया है।" 34 साल के सुभाष नौ दिसंबर, 2024 को बेंगलुरू के मुन्नेकोलालू में अपने घर में फंदे से लटके पाए गए थे। उन्होंने सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया था।

शीर्ष अदालत सुभाष की मां अंजू देवी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने अपने चार साल के पोते की कस्टडी मांगी थी। सुनवाई के दौरान, अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने शीर्ष अदालत को बताया कि बच्चा हरियाणा के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहा है।

वकील ने कहा, "हम बच्चे को बेंगलुरू ले जाएंगे। हमने बच्चे को स्कूल से निकाल लिया है। जमानत की शर्तों को पूरा करने के लिए (बच्चे की) मां को बेंगलुरू में ही रहना होगा।" सुभाष की मां का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता कुमार दुष्यंत सिंह ने बच्चे की कस्टडी की मांग की और आरोप लगाया कि अलग रह रही उनकी बहू ने बच्चे का पता गुप्त रखा है।

उन्होंने दलील दी कि छह साल से कम उम्र के बच्चे को बोर्डिंग स्कूल में नहीं भेजा जाना चाहिए और याचिकाकर्ता के साथ बच्चे की अच्छी बातचीत को प्रदर्शित करने के लिए उस तस्वीर का हवाला दिया जब वो (बच्चा) केवल दो साल का था। सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे को 20 जनवरी को अगली सुनवाई पर अदालत में पेश करने का निर्देश दिया और कहा कि मामले का फैसला ‘मीडिया ट्रायल’ के आधार पर नहीं किया जा सकता।

बेंगलुरू की एक अदालत ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में सुभाष की अलग रह रही पत्नी, उसकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया को चार जनवरी को जमानत दे दी। सुभाष की मौत के बाद निकिता और उसके परिवार के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 3(5) (सामान्य इरादा) के तहत बेंगलुरू में एफआईआर दर्ज की गई।