चुनाव प्रचार का शोर हर ओर सुनाई दे रहा है. जिसकी तासीर की ताप में अब जुबानें बेलगाम होती दिख रही हैं. नेता अपनी मर्यादा की सीमाएं लांघ रहे है एक दूसरे पर बयानबाजी कर रहे हैं. इसकी बानगी देखने को मिली जम्मू कश्मीर के चुनाव प्रचार के दौरान जहां मल्लिकार्जुन खड़गे की तबियत खराब हो गई तो इसे उन्होंने सीधे-सीधे प्रधानमंत्री से जोड़ दिया और कहा कि मैं तब तक जिंदा रहूंगा जब तक प्रधानमंत्री सत्ता से बाहर नहीं हो जाते.
हालांकि इस बयान पर प्रतिक्रिया न देते हुए प्रधानमंत्री ने राजनैतिक मदभेद के बीच शिष्टाचार का उदाहरण पेश किया और खड़गे का हाल-चाल जाना उनसे बात की. लेकिन बीजेपी के अन्य नेताओं ने खड़गे पर जमकर पलटवार किया और कांग्रेस के चरित्र पर भी सवाल उठाया. दिल्ली में भी वार-पलटवार हुआ. जहां एक चुनावी जनसभा के दौरान राहुल गांधी ने भी एक बयान दिया. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन को लेकर राहुल गांधी ने अपने अंदाज में जो दृश्यात्मक वर्णन किया वो बीजेपी को कांटे की तरह चुभ गया और इसका जवाब योगी आदित्यनाथ ने दिया. यानि कुल मिलाकर अलग माहौल चुनावी है तो बयानबाजी सियासी है. जिसके बाद ये सवाल उठना लाजमी है कि क्यों इस तरह की बयानबाजी कर नेता सुर्खियां बटोंरना चाहते हैं? क्यो इन बयानों से जनता को कुछ भला हो रहा है? क्यो इसका कोई साकारात्मक प्रभाव जनता पर पड़ता है? क्या इन बयानों के जरिए वोटों की फसल काटी जा सकती है? क्या इस तरीके के बयान हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की जमीन पर जीत की लकीर खींच सकेगी?
खड़गे ने जो बयान दिया उसमें अदावत भी है और बदले की भावना भी. गुस्सा भी है और नाराजगी भी. इसके बावजूद जैसे की प्रधानमंत्री को जैसे ही इसकी खबर लगी उन्होंने खड़गे को फोन किया और उनका हाल चाल जाना. यानि प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी जिम्मेदारी का पूरी तरह निर्वहन किया लेकिन खड़गे के बयान पर गुस्सा देखने को मिला. गृहमंत्री अमित शाह ने एक्स पर पोस्ट कर खड़गे पर तीखा प्रहार किया और आईना दिखाया.
गृह मंत्री शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा, कल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने भाषण में अपमानजनक व्यवहार करके खुद और अपने नेताओं और अपनी पार्टी को पीछे छोड़ दिया. गृह मंत्री ने आगे कहा, अपनी कटुता का परिचय देते हुए उन्होंने (खड़गे) बिना मतलब के प्रधानमंत्री मोदी को अपने निजी स्वास्थ्य के मामले में घसीटते हुए कहा कि वे प्रधानमंत्री मोदी को सत्ता से हटाकर ही दम लेंगे. इससे पता चलता है कि इन कांग्रेसियों में प्रधानमंत्री मोदी के प्रति कितनी नफरत और डर है, कि वे हर समय उनके बारे में सोचते रहते हैं.
अमित शाह ने भी प्रधानमंत्री की तरह बड़प्पन दिखाते हुए खड़गे का स्वास्थय के लिए कामना की और कहा, 'जहां तक कांग्रेस अध्यक्ष के स्वास्थ्य की बात है, PM मोदी प्रार्थना करते हैं, मैं प्रार्थना करता हूं. हम सब प्रार्थना करते हैं कि वे दीर्घायु हों और स्वस्थ रहें. वे 2047 तक विकसित भारत का निर्माण होते देखने के लिए जीवित रहें.'
राजनीति में अब तक जो दखने को मिला है उसके अनुसार, बात अगर सियासी हो तो उसकी परिधि के दायरे का कोई ओर छोर नहीं होता है. अर्थव्यवस्था की ट्रिकल डाउन थ्योरी की भातिं बयानों की तासीर रिसते हुए बीजेपी और कांग्रेस के दूसरे नेताओं तक भी पहुंची. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की ओर से जवाब दिया गया तो वहीं दूसरी ओर से कांग्रेस नेता जयराम रमेश का बयान भी सामने आया.