Breaking News

हम आर्मी को खुली छूट देते हैं, तीनों सेना के अध्यक्षों संग हाई लेवल मीटिंग में बोले पीएम मोदी     |   दिल्ली: स्कूल फीस एक्ट को कैबिनेट की मंजूरी, अब मनमाने ढंग से फीस नहीं बढ़ा सकेंगे स्कूल     |   चीन के लियाओनिंग में रेस्टोरेंट में आग लगने से 22 लोगों की मौत, 3 घायल     |   दिल्ली जल बोर्ड की अहम बैठक, पानी को लेकर हो सकते हैं कुछ अहम फैसले     |   PM नरेंद्र मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री चुने जाने पर मार्क कार्नी को दी बधाई     |  

CAG रिपोर्ट में दावा, दिल्ली में DTC को 7 साल में हुआ 5000 करोड़ का नुकसान

 

दिल्ली विधानसभा में सोमवार से शुरू हुए बजट सत्र के पहले ही दिन डीटीसी के कामकाज पर सीएजी की पेंडिंग रिपोर्ट सदन में पेश की गई। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने 31 मार्च 2022 को खत्म हुए वित्त वर्ष पर आधारित सीएजी की यह ऑडिट रिपोर्ट सदन में पेश की। दिल्ली में शराब की सप्लाई और हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर के बाद यह तीसरी सीएजी रिपोर्ट थी, जिसे नई सरकार ने सदन में प्रस्तुत किया। रिपोर्ट में डीटीसी की कार्यप्रणाली में खामियां और वित्तीय गड़बड़ी का दावा किया गया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015-16 में डीटीसी का ऑपरेटिंग रेवेन्यू 914.72 करोड़ रुपये था, जो 2021-22 में घटकर 558.78 करोड़ रुपये रह गया। दूसरी ओर कुल खर्चे 5708.95 करोड़ रुपये से बढ़कर 11489.72 करोड़ रुपये हो गए। कुल मिलाकर इन 7 साल के दौरान डीटीसी का टोटल घाटा 3411.10 करोड़ रुपये से बढ़कर 8498.35 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। चौंकाने वाली बात है कि दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने भी इस दौरान डीटीसी को 225 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान नहीं किया, जो डीटीसी से क्लस्टर बसों के डिपो बनाने के लिए जमीन लेने के बदले में दिया जाना था।

रिपोर्ट के मुताबिक, डीटीसी पिछले कई साल से लगातार नुकसान झेल रही है, लेकिन इसके बावजूद रेवेन्यू बढ़ाने के लिए कोई ठोस व्यापार योजना या विजन डॉक्युमेंट तैयार नहीं किया गया। सरकार के साथ भी ऐसा कोई एमओयू नहीं हुआ। दूसरे राज्य परिवहन निगमों के साथ डीटीसी के प्रदर्शन की भी कोई तुलना नहीं की गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015-16 में निगम के पास 4,344 बसें थीं, जो 2022-23 तक घटकर 3,937 रह गईं, जबकि डीटीसी के पास सरकार से मिलने वाली आर्थिक सहायता भी उपलब्ध थी। इसके बावजूद डीटीसी केवल 300 इलेक्ट्रिक बसें ही खरीद सकी।

29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना नहीं वसूला

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि बसों की आपूर्ति में देरी के बावजूद निगम ने बस निर्माता कंपनियों से 29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना नहीं वसूला, जबकि दूसरी तरफ निगम के बेड़े में पुरानी बसों की संख्या तेजी से बढ़ रही थी। 2015-16 में जहां केवल 0.13 फीसदी बसें ओवरएज थीं, वहीं 2023 तक इनकी संख्या बढ़कर 44.96 फीसदी हो गई। जरूरत के अनुसार समय-समय पर नई बसें नहीं खरीदने की वजह से डीटीसी की परिचालन क्षमता भी प्रभावित हुई। इसके चलते बसों की उपलब्धता और उनकी दैनिक उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से भी कम रही।

रूट प्लानिंग में खामियां

बसों के बार-बार खराब होने और रूट प्लानिंग में खामियों के कारण 2015-22 के बीच डीटीसी को 668.60 करोड़ रुपये का संभावित राजस्व नुकसान हुआ। किराया तय करने की स्वतंत्रता नहीं होने के कारण डीटीसी अपना परिचालन खर्च भी नहीं निकाल पाई, जबकि दिल्ली सरकार ने 2009 के बाद से ही बसों के किराये में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। इसके चलते भी निगम की आय प्रभावित हुई। इसके अलावा विज्ञापन अनुबंधों में देरी और डिपो की खाली जमीन का व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं करने से भी निगम को संभावित राजस्व का नुकसान हुआ।