Ind vs Aus: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का दूसरा टेस्ट एडिलेड में 6 दिसंबर से खेला जाएगा। यह पिंक बॉल डे-नाइट टेस्ट होगा। पर्थ में सीरीज का पहला टेस्ट रेड बॉल से खेला गया था। ऐसे में एडिलेड टेस्ट दोनों टीमों के लिए आसान नहीं होगा। तो आइए जानते हैं कि रेड और पिंक बॉल में क्या फर्क होता है और कैसे पिंक बॉल रेड बॉल से अलग होती है।
दरअसल, लाल और गुलाबी गेंद में सबसे पहला अंतर ये है कि गुलाबी गेंद को बनाने में अधिक समय लगता है। लाल गेंद को लेदर बनाने के बाद उसको कलर किया जाता है, जबकि गुलाबी गेंद का लेदर शुरू से ही रंग दिया जाता है। इसके अलावा रेड बॉल की सिलाई के लिए सफ़ेद रंग के धागे का उपयोग किया जाता है, जबकि पिंक बॉल में काले रंग के धागे का इस्तेमाल किया जाता है।
गुलाबी गेंद का उपयोग उस टेस्ट मैच में किया जाता है, जो डे-नाईट होता है। ऐसे में अगर रात में लाल गेंद का उपयोग रात में किया जायेगा, तो इसको बल्लेबाजों को देखने में कठिनाई हो सकती है। तो वहीं गुलाबी गेंद को अधिक पॉलिश किया जाता है, जिसकी वजह से रात में ये अधिक चमकती है और बल्लेबाजों को कठिनाई नहीं होती है।
ऑस्ट्रेलिया के विकेटकीपर बल्लेबाज एलेक्स कैरी ने पिंक बाल के बारे में बात करते हुए कहा था कि इस गेंद से खेलने के लिए आपको गेंद बहुत अंत तक देखना पड़ता है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस गेंद से कीपिंग करना भी काफी अलग होता है, ऐसा इसलिए क्योंकि गेंद में ज्यादा चमक होती है.