- by Pooja
- 08-Jun-2023
Loading
वेद विलास उनियाल
लगभग तीन सौ साल पहले उबलती चाय की केतली के ढक्कन के बार बार उठने से जेम्स वाट चौंका था । नटखट स्वभाव ने देर तक इस पर सोचा और आखिर उसे महसूस हुआ कि कि यह भाप की शक्ति है जो केतली का ढक्कन बार बार उपर की ओर उछल रहा है। जेम्स वाट ने बाद में इसी भाप की शक्ति से इंजन बनाया । जेम्स वाट का यह इंजन इंग्लैंड के औद्योगिक जीवन को उन्नत करने में माध्यम बना और विज्ञान की महत्वपूर्ण खोजों में इसका नाम शुमार हुआ। अपने आसपास के परिवेश में चिंतन करने या कुछ नया सोचने की प्रवृति के चलते 11 साल के दून के छात्र अद्वैत की हवा से चलने वाली बाइक भी चौंका रही है।
जेम्स वाट का ध्यान अगर केतली के ढक्कन की ओर गया तो अद्वैत ने भी हवा से गुब्बारे की गति पर गौर किया । अद्वैत ने महसूस किया कि हवा पाकर गुब्बारा किस तरह आगे की ओर बढ गया। इसी आधार पर उसने ऐसी बाइक बनाई जिसके लिए पेट्रोल या बिजली नहीं केवल हवा चाहिए। संयोग है कि जिस उम्र में अद्वैत है उसी उम्र में जेम्स वाट ने भी अपने इंजन के लिए साधन जुटाने शुरू किए थे। अद्दैत छठवीं कक्षा का छात्र है और उसने साधारण टायर से भरी जाने वाली हवा के जरिए अपनी बाइक को चलाकर दिखाया है। अद्वैत ने अपनी इस बाइक को पर्यावरण की सोच के साथ जोडकर अपनी भागेदारी के प्रतीक में इसे प्रधानमंत्री को समर्पित करने की बात कही है। पर्यावरण व वातावरण को स्वच्छ बनाने के लिए 11 साल के अद्दैत इस अनोखा प्रयास पेश किया है। जिससे न केवल वायु प्रदूषण पर रोक लगेगी बल्कि बढ़ते पैट्रोल की कीमतों से भी निजात मिल सकेगी। अद्वैत ने साधारण टायर में भरी जाने वाली हवा से इस बाईक को चलाया है। यह बाईक जिसका नाम अद्वैत ओ टू है यह हमारे पर्यायवरण को किसी भी तरह की गर्मी, प्रदूषण से दूषित नहीं करेगी।
यह अच्छी बात है कि राज्य सरकार ने अद्वैत के इस प्रयास को सराहना करते हुए उसकी इस खोज को उचित मंच पर लाने का आश्वासन दिया है। संभव है कि जल्दी ही उसे देश के प्रधानमंत्री के समक्ष अपनी बाइक चलाकर दिखाने का गौरव हासिल होगा।
अद्वैत की सफलता केवल इस मायने में नहीं कि उसने हवा से चलती एक बाइक को बनाकर दिखाया है। विज्ञान कल्पना से ही उडान भरता है और उसे यथार्थ में बदलता है। अद्वैत ने हाथ से छूटे एक गुब्बारे के बीस बाइस इंच आगे उडने में उसने हवा की ताकत को महसूस किया है। और क्या पता हवा के इस महत्व को समझते हुए वैज्ञानिक परिवहन के क्षेत्र में आगे कोई अविष्कार करें। जेम्स वाट के भाप इंजन के बाद बहुत जल्दी स्टीवेंसन ने व्यवस्थित रूप से स्टीम इंजन बनाया था। लेकिन विज्ञान जगत रेल के क्षेत्र में किसी भी नए स्वरूप के सामने आने पर जेम्स वाट को पहला श्रेय देना नहीं भूलता। भूलना भी नहीं चाहिए। जिस तरह पूरी दुनिया खत्म होते पेट्रोल डीजल खनिज पर चिंता कर रही है । इसके विकल्पों पर कई तरह से खोज हो रही है। तब दून में एक स्कूली बच्चे का यह प्रयोग एक बडे प्रयास के तौर पर स्वीकारा जाना चाहिए। न केवल विज्ञान के एक अविष्कार के रूप में बल्कि पर्यावरण और प्रकृति के लिए उसकी चिंता के तौर पर भी इसका महत्व समझा जाना चाहिए।
अद्दैत ने अपनी इस बाइक का बाकायदा प्रदर्शन किया और उसे चलाकर भी दिखाया। आत्मविश्वास से भरा हुआ इस बाल वैज्ञानिक ने अपनी बाइक की खूबियों का जिक्र खासकर सबसे पहले इस रूप में किया कि यह पूरी तरह प्रदूषण मुक्त है, न इसे एअर पोल्यूशन होता है न साउंड पोल्यूशन । आम तौर पर कोई बच्चा गाडी की रफ्तार इसकी बनावट या किसी और तरह से बाइक का वर्णन करता । लेकिन उसने अपनी बाइक को स्वच्छता के अभियान से जोड़ा। बाल वैज्ञानिक ने कहा भी है कि वह भारत के प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान से बहुत प्रभावित है। इसलिए इस बाइक को बनाने को वह अपने छोटे से योगदान की तरह देखता है। बेशक वह इसे छोटा योगदान कहता हो। लेकिन उसकी सोच, धारणा, संकल्प बुद्धि तत्परता लगन हरहर किसी को प्रभावित कर रही है। निश्चित इस स्कूली छात्र ने बाइक को सामने लाकर वैज्ञानिकों तकनीशियों और उद्यमियों को अवसर दे दिया है कि वे आगे इस पर काम करना शुरु कर दें। निश्चित ही हवा के सहारे चलती बाइक सड़कों पर दिखने लग जाए तो अद्वैत का सपना पूरा होगा।
अद्वैत के इस प्रयास ने साबित किया है कि प्रतिभाएं किस तरह छुपी होती है और उन्हें किस तरह सामने लाया जा सकता है। कहीं न कहीं अभिभावकों का प्रोत्साहन और संस्कार भी अपने ढंग से काम करते हैं। अद्दैत को जब लगा कि हाथ से छूटे गुब्बारे की हवा निकलने से गुब्बारा हवा में ढोलते दिशा बदल रहा है तो उसे हवा की ताकत का अहसास हुआ। उसने उसी क्षण अपने पिता से पूछा था कि क्या हवा से बाइक बनाई जा सकती है। निश्चित ही उसे अपने प्रयोग करने की घर पर स्वतंत्रता मिली होगी। वरना कई अभिभावक इसे सनक के तौर पर उपहास के रूप में भी ले सकते थे। लेकिन बाल वैज्ञानिक ने निराश नहीं किया और आखिर ऐसी बाइक बना ही डाली। जरूरत समाज में ऐसी प्रतिभाओं को आगे लाने की है। विज्ञान संगीत कला खेल हर क्षेत्र में ऐसी बाल प्रतिभाएँ हमारे बीच मौजूद है। बस उन्हें तराशा जाना चाहिए। इंतजार कीजिए उस दिन का जब अद्दैत की हवा वाली बाइक सड़कों में हम सफर कर रहे होंगे।