- by Gaurav Sharma
- 25-Mar-2023
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राजस्थान में गहलोत सरकार ने राज्य में 19 नए जिलों का निर्माण किया है। इसके साथ ही तीन नए संभाग भी बनाए गए हैं। सीएम अशोक गहलोत का कहना है कि बड़े राज्य होने की वजह से नए जिलों के गठन की मांग की जा रही थी। अब राज्य में 50 जिले होने से विकास की प्रक्रिया तेजी से आगे बढेगी। उधर बीजेपी ने जिलों के गठन के इस फैसले को सियासी पेंतरा बताया है। बीजेपी का कहना है कि इससे राज्य के आर्थिक तंत्र को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया। इससे कई तरह की प्रशासनिक दिक्कते भी आएंगी। यह सियासी हितों के लिए किया गया फैसला है।
राजस्थान में गहलोत सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। राज्य में 19 नए जिले बनाए गए हैं। इस तरह देश में भौगोलिक क्षेत्र के लिहाज से सबसे बड़े राज्य राजस्थान में अब 50 जिले हो गए हैं। इसके अलावा बांसवाड़ा, पाली और सीकर तीन नए संभाग बनाए गए हैं। नए जिलों के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बजट में दो हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
नए जिलों का गठन :
राजस्थान में नए जिलों का मांग काफी समय से की जा रही थी। अलग-अलग इलाकों में नए जिलों की मांग उठती रही। लेकिन आखरी बार 26 जनवरी 2008 में प्रतापगढ को नया जिला बनाया गया था। इससे 14 साल पहले हनुमानगढ नया जिला बना था। इस तरह लंबे समय के बाद नए जिलों का गठन हुआ है। इसमें जयपुर जिले को तोड़कर उत्तर जयपुर दक्षिण जयपुर दूदू और कोटपुतली जिला बनाया गया है। इसी तरह जोधपुर को जोधपुर पश्चिम जोधपुर पूर्व और फलोदी में बांटा गया है। श्रीगंगानगर से अनूपगढ़, बाड़मेर से बालोतरा, अजमेर से ब्यावर और केकड़ी, भरतपुर से डीग, नागौर से डीडवाना-कुचामनसिटी, सवाईमाधोपुर से गंगापुर सिटी, अलवर से खैरथल, सीकर से नीम का थाना, उदयपुर से सलूंबर, जालोर से सांचोर और भीलवाड़ा से काटकर शाहपुरा को नया जिला बनाया गया है।घोषणा में तीन नए संभाग मुख्यालय बनाए गए हैं। सीकर, पाली और बांसवाड़ा।
इन मुख्यालयों के तहत कौन-कौन से जिले काम करेंगे, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। इसमें भी अंचल का खास ध्यान रखा गया है। शेखावाटी से सीकर, मारवाड़ से पाली और मेवाड़ के आदिवासी बेल्ट से बांसवाड़ा को संभाग बनाया गया है। सीएम गहलोत का कहना है कि राजस्थान के भौगोलिक सीमा को देखते हुए नए जिलों का गठन करना बहुत जरूरी हो गया था। राजस्थान में जिलों में लोगों को मुख्यालय तक पहुंचने में काफी समय लगता है। अब प्रशासनिक स्तर पर लोगों की यह समस्या दूर हो गई है। साथ ही इससे विकास प्रक्रिया तेज होगी। लेकिन दूसरी तरह बीजेपी ने इन जिलों के गठन को लेकर सरकार को घेरा है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया का कहना है कि सरकार ने यह फैसला सियासी हितों को देखकर लिया है। अपनी सियासत के लिए सरकार ने राज्य के आर्थिक तंत्र पर चोट कर कर दी है।
तीन नए संभाग :
राजस्थान में जिलों को काटकर नए जिले बनाने की मांग काफी पुरानी है। कुछ समय पहले कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने सीएम को पत्र लिखकर कुछ नए जिलों को बनाने का सुझाव दिया था। लेकिन तब गहलोत ने कहा कि जिलों के गठन को लेकर राम लुभाव कमेटी की रिपोर्ट आनी है । इसके बाद इसपर फैसला किया जाएगा, लेकिन अब राज्य सरकार ने जिलों को बनाकर सबको चौंकाया। जिलों का जिस तरह गठन हुआ है उसमें खासी सियासी कसरत दिखती है। एक तरह से गहलोत सरकार ने राजस्थान का नक्शा बदल कर रख दिया है। राजधानी जयपुर को उत्तर और दक्षिण में बांटा गया, वहां जोधपुर को पूर्व और पश्चिम में बांटा गया। जयपुर को काटकर चार नए जिले बने हैं।
वहीं सीएम के गृहक्षेत्र जोधपुर में भी तीन जिलों को भी तीन जिलों में बांटा है, इसमें जोधपुर पूर्व, पश्चिम और फलोदी में बांटा गया है। इसके साथ ही राजस्थान में शेखावाटी इलाके के सबसे बड़े जिले सीकर समेत आदिवासी बाहुल्य बांसवाड़ा और मारवाड़ के अहम जिले पाली को नया संभाग बनाया गया है. राज्य में तीन नए संभाग मुख्यालय बनाए गए हैं। सीकर, पाली और बांसवाड़ा। इन मुख्यालयों के तहत कौन-कौन से जिले काम करेंगे, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। इसमें भी अंचल का खास ध्यान रखा गया है। शेखावाटी से सीकर, मारवाड़ से पाली और मेवाड़ के आदिवासी बेल्ट से बांसवाड़ा को संभाग बनाया गया है।