कश्मीर में सबसे कठोर सर्दियों का दौर, चिल्लई कलां, नजदीक आ रहा है। श्रीनगर में इस दौर से निपटने की तैयारियां परवान चढ़ रही हैं। तंग गलियों और चहल-पहल भरे बाजारों में दुकानदार और आम लोग सदियों पुराने उपाय कर रहे हैं - सूखी सब्जियों का स्टॉक करना। सूखी सब्जियां खास कर उन जगहों की जीवन रेखा हैं, जहां बर्फबारी की वजह से यातायात थम जाता है और लोग हफ्तों बाकी दुनिया से कट जाते हैं। उस दौर में सूखी सब्जियां सिर्फ खाने का ही नहीं, बल्कि स्वर्गिक आनंद का भी जरिया होती हैं।
सूखी सब्जियां बेचने वालों ने बताया कि इस साल मांग असाधारण रूप से ज्यादा है। धूप में सुखाई सब्जियां न सिर्फ कश्मीरी, बल्कि देश-विदेश से आए सैलानी भी खरीद रहे हैं। परंपरागत रूप से, ग्रामीण इलाकों में महिलाएं सूखी सब्जियां तैयार करती हैं। वे गर्मियों में शलगम, लौकी, टमाटर, पालक और बैंगन के छोटे-छोटे टुकड़े धूप में सुखाती हैं।
सूखी हुई सब्जियां बिना फ्रिज में रखे महीनों खराब नहीं होतीं। लिहाजा सर्दियों में लंबे समय तक उनका इस्तेमाल हो सकता है। सूखी सब्जियां न सिर्फ सर्दियों में पोषण का, बल्कि व्यापारियों की आय का भी अहम स्रोत हैं। सर्दियां बढ़ने के साथ उनकी मांग भी और बढ़ने के आसार हैं। फिलहाल सब्जी व्यापारी उसी मांग को पूरा करने की तैयारियों में जुटे हैं।
श्रीनगर में कठोर सर्दियों के दौर, 'चिल्लई कलां' से निपटने की तैयारी शुरू
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