New Delhi: साल 2025 के खत्म होने में चंद दिन ही रह गए हैं। 2025 को उन महत्वपूर्ण कर सुधारों के लिए याद किया जाएगा जिनसे व्यक्तियों और व्यवसायों के कर भुगतान के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव आए। कर सुधार की पहल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में पेश किए गए केंद्रीय बजट 2025-26 से शुरू की थी नई कर व्यवस्था के तहत, कर-मुक्त आय की सीमा 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दी गई। इस कदम से लगभग एक करोड़ मध्यमवर्गीय करदाताओं को बड़ी राहत मिली है।
आयकर संबंधी कानूनों को और सरल बनाने के लिए संसद ने अगस्त में आयकर अधिनियम, 2025 पारित किया। नए कानून ने 64 साल पुराने आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लिया, जिसकी जटिलता और अत्यधिक मुकदमेबाजी के कारण लंबे समय से आलोचना हो रही थी। सरल भाषा और कम धाराओं वाले इस नए कानून को अगले वर्ष 1 अप्रैल से लागू किया जाएगा। एक अन्य महत्वपूर्ण कर सुधार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर में बदलाव के रूप में आया। इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में पहले ही कर दी थी।
जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में जीएसटी दरों में बड़ा बदलाव किया गया। संशोधित जीएसटी संरचना के तहत चार स्लैब - 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत को पांच और 18 में ही नियमित कर दिया गया। विलासिता और हानिकारक वस्तुओं को 40 प्रतिशत के उच्च स्लैब में रखा गया है। पहले 12 प्रतिशत कर के दायरे में आने वाली लगभग 99 प्रतिशत वस्तुओं को 5 प्रतिशत स्लैब में रखा गया है, जिससे रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती हो गई हैं।
आयकर और जीएसटी सुधारों दोनों ने घरेलू मांग को बढ़ावा देने में मदद की, जिसके परिणामस्वरूप जीडीपी वृद्धि के साथ-साथ कर संग्रह में भी वृद्धि हुई। अप्रैल से नवंबर 2025 के दौरान जीएसटी संग्रह 14.75 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.9 फीसदी ज्यादा रहा। कुल मिलाकर, 2025 के कर सुधारों ने आम नागरिक के लिए एक सरल, अधिक पूर्वानुमानित और करदाता-हितैषी प्रणाली की नींव रखी है, जिससे दैनिक जीवन में काफी सुगमता आई है।